भाल भभूत हे! भस्मीभूतहे! शिखर चन्द्र, हें! तपस तंद्रहे! बाम अंग में शैल सुताकरुनानिधान, तू योगरताहे! हरे! पितु गणेश बालकहे! दुःख हर्ता तुम जग पालकहे! सिद्धयोग हे! महारथीहे! दानवीर हे! सती-पतिहे! विषपायी हे! अविनाशीवर देते अतुल, खुद वनवासीइतना ही वर मुझको देनाभारति माँ के दुःख हर लेनाधन-धान्य प्रगति से भर देनाफिर पूजा का अवसर देनाहे ! भारत भू के धन्य देवये भू समृद्ध रहे सदैव
-वेदिका
महा-शिवरात्रि २०१० (चित्र मेरे स्वयं के द्वारा लिया गया है ,)