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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

5 जून 2013

मद्य पान निषेध

मनोरमण छंद  जो कि १६ मात्राओं से बनता है। बुन्देली भाषा की प्रस्तुति आपके सम्मुख है 


कहने में सकुचाय सुमनिया 
पियो जो दारू प्यारे पिया 
जले गृहस्थी संग जले जिया 
दारू ने सर्वस्व है लिया 

दवा नही रे  है ये  दारू
है ये सब घर बार बिगारु 
बर्बादी पे भये उतारू 
तुम नस्सू हम जीव जुझारू 

                  गीतिका 'वेदिका' 
                   ११ मई २०१३ ११ : ५७ पूर्वान्ह 

1 टिप्पणी:

  1. आपकी यह रचना कल मंगलवार (बृहस्पतिवार (06-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ