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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

14 अग॰ 2010

चले गये हा! जीव से प्रान

स्वागत में हम थे आतुर
अधरों पर लेकर मुस्कान
जाने कब और कैसे ईश्वर
चले गये हा! जीव से प्रान

शत शत स्वप्न सजा नैनों में
मधुरस घोला था बैनों में
लेकिन श्रम यह शून्य हो गया
धुल धूसरित सब धन धान
चले गये हा! जीव से प्रान
 
क्या प्रकृति के  मन को भाया
सुख-सुख से कैसा भरमाया
पहले दृष्टि-दया दिखलाई
बड़ा कुटिल फिर हुआ विधान
चले गये हा! जीव से प्रान

8 अग॰ 2010

जिन्दगी कहाँ है तुम मुझको बता दो आजाओ ...!

जिन्दगी कहाँ है तुम मुझको बता दो आजाओ
जो किया हो मैंने कि मुझको सजा दो आजाओ

जो जमी है वो नमी है ढेर सारी आँखों में
यूँ करो कि आज घर मुझको रुला दो आजाओ

ये करूं मै कुछ लिखूं फिर फिर मिटा दूँ रोज ही
मर मिटूँ कि पहले ही पढ़ के सुना दो आजाओ

 बुरे होंगे हम मगर इसकी वजह हालात है
सुनो दिलबर जोर का थप्पड़ जमा दो आजाओ

आये दरवाजे पे मेरे, बिन पुकारे चल दिए
प्यार था जो कभी तो उसको निभा दो आजाओ