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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

8 अग॰ 2010

जिन्दगी कहाँ है तुम मुझको बता दो आजाओ ...!

जिन्दगी कहाँ है तुम मुझको बता दो आजाओ
जो किया हो मैंने कि मुझको सजा दो आजाओ

जो जमी है वो नमी है ढेर सारी आँखों में
यूँ करो कि आज घर मुझको रुला दो आजाओ

ये करूं मै कुछ लिखूं फिर फिर मिटा दूँ रोज ही
मर मिटूँ कि पहले ही पढ़ के सुना दो आजाओ

 बुरे होंगे हम मगर इसकी वजह हालात है
सुनो दिलबर जोर का थप्पड़ जमा दो आजाओ

आये दरवाजे पे मेरे, बिन पुकारे चल दिए
प्यार था जो कभी तो उसको निभा दो आजाओ 

2 टिप्‍पणियां:

  1. दर्द भरी रचना ! बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  2. Vedika ji,


    बहुत सुन्दर रचना,बधाई.

    पधारें मेरे ब्लॉग पर भी, अपनी राय दें, आभारी होऊंगा .

    जवाब देंहटाएं

विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ